दिव्या और जिया की मौत में कई समानताएं नजर आती हैं। बेशक दिव्या ने जब मौत को गले लगाया, उस वक्त उसका कैरियर शिखर की ओर तेजी से बढ़ रहा था। दूसरी ओर पिछले तीन सालों से एक अदद फिल्म को तरस रही जिया खान इंडस्ट्री में अपनी जगह बनाने की जंग लड़ रही थी। मौत को चुनने से पहले जिया को तीन दक्षिण भारतीय फिल्में मिल चुकी थीं। फिर भी इश्क में गिरफ्तार जिया ने आत्मघाती कदम उठा लिया। इन दोनों में असफल प्रेम प्रसंग सहित असुरक्षा की भावना घर कर चुकी थी। दिव्या को हर वक्त साजिद का संग चाहिए था, जिससे वह बेइंतहा प्यार करती थी। तो, जिया भी अपने ब्वॉयफ्रेंड सूरज पंचोली पर अपना पूरा अधिकार समझती थी।
कुछ अरसा पहले सूरज ने जिया से दूरियां बढ़ानी शुरू कर दी थीं। यही जिया को बर्दाशत नहीं हो पा रहा था। मौत को गले लगाने से पहले जिया ने सूरज को हर घंटे फोन करने को कहा। इन दोनों के बीच हुई आपसी तकरार, बेशक जिया की मौत की सबसे बड़ी वजह बताई जा रही हो, लेकिन इंडस्ट्री के लोगों की मानें तो तीन साल में एक भी फिल्म नहीं मिलने से जिया को अपनी पहचान खोने का डर सता रहा था। दूसरी ओर अमिताभ, आमिर और अक्षय के साथ काम कर जिया खुद को ए ग्रेड की स्टार मान बैठी थी। बीते तीन सालों में जिया को कई ऐसे प्रॉडयूसरों ने अपनी फिल्मों के लिए अप्रोच किया जो सीमित बजट में नई स्टार कास्ट के साथ फिल्म बनाना चाहते थे।
ग्लैमर वल्र्ड में ऐसा बहुत कम ही देखा गया है कि कैरियर के शुरूआती दिनों में नवोदित कलाकार को भावी नंबर वन अदाकारा का तमगा इंडस्ट्री के दिग्गजों ने दे दिया हो। लेकिन जिया और दिव्या को ये तमगा मिला।
दिव्या की मौत, आज बरसों बाद भी रहस्य है। मुंबई की एक सोसाइटी के पांचवीं फ्लोर स्थित अपने फ्लैट से गिरने के बाद दिव्या की मौत हुई थी। मुंबई पुलिस ने इसे आत्महत्या मानकर, इसमें क्लोजर रिर्पोट भी लगा दी। लेकिन दिव्या की मौत को हत्या बताने वाले लोगों की आज भी कमी नहीं है।
आज बीस साल बाद भी दिव्या की फैमिली और उनके फैंस हैरान हैं कि इतनी छोटी उम्र में कामयाबी के शिखर की ओर बढ़ रही दिव्या के साथ ऐसा क्या हुआ कि उसने अपनी जान देने का फैसला कर लिया। बरसों बाद भी दिव्या के परिजन इसे हत्या मानकर उसकी विस्तृत जांच की मांग करते रहे हैं। मुंबई पुलिस ने इसे आत्महत्या का मामला मानकर क्लोजर रिपोर्ट लगा दी। सवाल उठता है दिव्या ने यह फैसला उस वक्त क्यों उठाया जब कामयाबी उसके पांव चूम रही थी? दिव्या को शुरू से एक ऐसे साथी की तलाश रही जिसके साथ वह अपनी हर बात शेयर कर सके। ऐसे में उसे अपनी उम्र से ज्यादा साजिद नाडियाडवाला का साथ मिला। कुछ अरसे बाद दिव्या की यही चाहत जब अधिकार में बदलने लगी, तो साजिद ने दिव्या से किनारा करना शुरू कर दिया। नतीजा, दिव्या की मौत के रुप में सामने आया।
आज बरसों बाद भी दिव्या की मौत पर रहस्य बरकरार है, लेकिन कामयाबी के शिखर पर तेजी से बढ़ती ग्लैमर वल्र्ड की इन खिलती कलियों ने, पूरी तरह खिलने से पहले ही इक तरफा प्यार में अपनी जानें गंवा दीं।
नब्बे के दशक की बोल्ड और कामयाब हीरोइन परवीन बाबी की 2007 में गुमनामी में हुई मौत भी खुद को खत्म करने वाली घटना है। 90 के दशक के सुपरस्टार अमिताभ बच्चन के साथ कई सिल्वर जुबली फिल्में करने वाली परवीन बॉबी, अपने फ्लैट में मृत पाई गई। कभी ग्लैमर वल्र्ड पर राज करने वाली परवीन बाबी ने जिंदगी के आखिरी दिनों में तन्हाई को गले लगा लिया था। बेशक, परवीन एक खतरनाक बीमारी से पीडि़त थी, लेकिन बेवफाई और अपनी पहचान खोने के डर ने बीमारी से लडऩे की बजाए, उसे मौत के नजदीक जल्दी पहुंचा दिया।
17 सालों तक साउथ की इंडस्ट्री में राज करने वाली सिल्क स्मिता के नाम 450 से ज्यादा फिल्में है। 70-80 के दशक में सिल्क का नाम ही फिल्म की कामयाबी की गारंटी माना जाता था। साउथ में सिल्क का क्या जलवा था, इसका अंदाज आप इसी से लगा सकते है कि सिल्क की ज्यादातर फिल्मों के पोस्टरों पर हीरो की तस्वीर तक नहीं होती थी। नब्बे के दशक की शुरूआत आते-आते महासेक्सी, बोल्ड, बिंदास सिल्क के नाम की चमक कम होनी शुरू हो चुकी थी। कभी सिल्क की बोल्ड अदाओं पर मर मिटने वाले उसके फैंस भी उससे किनारा करने लगे थे। साउथ की फिल्मों में सेक्स की पर्याय बन चुकी सिल्क से उन निर्माताओं ने भी कन्नी काटनी शुरू कर दी थी, जिन्होंने सिल्क की बोल्ड जवानी और मादकता दर्शाती फिल्मों से मोटा मुनाफा कमाया था। गुमनामी और अपनों की बेरूखी सिल्क से सहन नहीं हुई। कहते है कि 1995 में हालात ऐसे हो चुके थे कि राह चलती सिल्क को देख, लोग ताने मारने लगे थे। शोहरत के जाने से गुमनामी के अंधेरे में गुम होती सिल्क स्मिता भी अपनों के बदले इस रूख को सह नहीं पाई और 1996 में जिंदगी से लडऩे की बजाए मौत को गले लगाना ज्यादा पसंद किया।
60 के दशक में अपने वक्त के हरदिल अजीज अभिनेता गुरूदत ने भी जिंदगी से लडऩे की बजाय, मौत को गले लगाना ज्यादा पसंद किया। प्यासा, चौदहंवी का चांद, साहिब बीवी और गुलाम जैसी सदाबहार फिल्में बनाने वाले गुरूदत ने 1964 में अपनी महत्वांकाक्षी फिल्म कागज के फूल को बॉक्स ऑफिस पर मिली जबर्दस्त नाकामयाबी के कुछ अरसे बाद ही अपनी जान दे दी। गुरूदत ने नींद की गोलियां खाकर अपनी जान दी, लेकिन आज बरसों बाद भी उनके परिजन उनकी मौत को आत्महत्या नहीं, बल्कि एक हादसा बताते है।
वहीं, गुरूदत के बेहद करीबी लोगों की माने तो वहीदा रहमान के इकतरफा इश्क में नाकामी और पत्नी गीताबाली से लंबे तनावपूर्ण रिश्ते गुरूदत की मौत की बड़ी वजह बने। वहीदा रहमान के साथ कई फिल्में करने के बाद, दोनों के बीच बढ़ती नजदीकियों ने उनकी पत्नी गीताबाली को परेशान कर दिया था। घर में बढ़ती कलह के बीच, अपने बैनर की मेगा बजट फिल्म की नाकामयाबी को बेशक गुरूदत साहब झेल जाते, लेकिन वहीदा की दूरियां उन्हें ले डूबीं।
सिर्फ 39 साल की उम्र में मीना कुमारी की मौत को ग्लैमर इंडस्ट्री और उनके नजदीकी भले ही लीवर सिरोसिस नाम की बीमारी बताते हों, लेकिन हर कोई जानता है कि अपने वक्त की इस सदाबहार अदाकारा को कमाल अमरोही और अपने को-स्टार धर्मेंद्र से जब वफा के बदले बेवफाई मिली तो इससे यह अदाकारा पूरी तरह से टूट गई। संघर्ष के दिनों में धर्मेंद्र के साथ हर मोड़ पर खड़ी मीना कुमारी उस वक्त पूरी तरह से टूटी जब धर्मेंद्र ने भी उनसे अपने रिश्ते खत्म कर लिये। इस के बाद मीना ने शराब का साथ उस वक्त तक नहीं छोड़ा जब तक उन्हें मौत ने गले नहीं लगा लिया। ग्लैमर वल्र्ड में अपनी चमक खोने, अपनों से दूरियां, नाकामयाबी, गुमनामी के बीच अपनों से बेवफाई हर बार चमकते सितारों को रास नहीं आई।
जिया खान मामले में सूरज की गिरफ्तारी भले हो चुकी हो लेकिन साजिद, सलमान, शिल्पा, शाहरूख, फरदीन की तरह ये भी सजा से बच निकलेंगे, इसकी पूरी आशंका है, क्योंकि भारत में सेलिब्रिटी पर कानून लागू होने का रिकार्ड खराब रहा है। संजय दत्त का मामला अगर आतंकवाद और फिरौती से नहीं जुड़ा होता तो, ये भी आजाद घूमते।
सुरेश उनियाल
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