सर्वप्रथम तो उदय इंडिया को अपना शानदार सहयोग और समर्थन देने के लिए मैं अपने विवेकी और प्रबुद्ध पाठकों को धन्यवाद देता हूं। उदय इंडिया (अंग्रेजी) 30 नवम्बर 2013 को अपने प्रकाशन के 5वें साल में प्रवेश कर रहा है। अपनी चार साल की यात्रा में उदय इंडिया ने अनेक घोटालों और गुत्थियों पर से परदे उठा कर अपने प्रबुद्ध पाठकों के दिल और दिमाग में एक विशेष स्थान बना लिया है। उदय इंडिया के 5वें वर्ष में राष्ट्रीय पत्रकारिता को और मजबूत करने के लिए हम सब उत्साही मूड में हैं। उदय इंडिया के हिन्दी संस्करण राष्ट्रवादी पत्रकारिता के शंखनाद के लिए समाज के हर वर्ग के पाठकों का बेहद उत्साहपूर्ण सहयोग मिल रहा है। लेकिन रास्ता अभी लंबा है। इस रास्तें में अनेक रूकावटें भी आएंगी। राष्ट्रहित के लिए हर हाल में, अपने मूल चरित्र को बनाए रखने में जिम्मेदारियां भी कई गुणा बढ़ गई हैं। इस कारण उदय इंडिया के लिए खुशियां मनाने का अभी यह मौका नहीं है। जब मीडिया में नैतिक और अनैतिक या पूरी तरह से भ्रष्ट तत्वों की शिनाख्त करना मुश्किल ही नहीं, बल्कि और अधिक मुश्किल होता जा रहा हो, उदय इंडिया ने पत्रकारिता के सच्चे मूल्यों का नैतिकता से पालन किया है और पालन करता रहेगा। हम आने वाले समय में आम आदमी के हितों से जुड़े विषयों को सामने लाने में अपनी मुख्य भूमिका निभाते रहेंगे। उदय इंडिया और अन्य राष्ट्रीय तथा अन्तर्राष्ट्रीय साप्ताहिक पत्रिकाओं के बीच अन्तर करना बेशक आसान न हो, लेकिन जब बात पत्रकारिता के मानकों की आएगी, तब उदय इंडिया ईमानदारी, प्रामाणिकता और राष्ट्रीयता में निश्चित रूप से प्रथम दिखाई देगी। समाज के सभी वर्गों के हमारे पाठकों के भारी समर्थन और सहयोग से हमारी स्वीकार्यता स्पष्ट है। प्रतियोगी पत्रकारिता के क्षेत्र में नैतिकता का पालन करना हालांकि बहुत मुश्किल है, लेकिन इस बारे में फैसला हम अपने पाठकों पर छोड़ते हैं कि उदय इंडिया कहां खड़ा है। निश्चित रूप से मुझे विश्वास है कि हम भुगतान वाली खबरों और पीत पत्रकारिता (पेड न्यूज एंड येलो जर्नलिज्म) की दुनिया से बहुत दूर हैं। आज, हमें उदय इंडिया परिवार को अपना अस्तित्व बनाए रखने के लिए निश्चित रूप से राष्ट्रवादी ताकतों के सहयोग और समर्थन की जरूरत है।
यहां, यह उल्लेख करना प्रासंगिक होगा कि खबर का अर्थ, भुगतान किए गए विज्ञापनों से दी जाने वाली सूचनाओं और उनसे बनने वाली राय से बचकर उसे उद्देश्यपूर्ण, उचित और निष्पक्ष बनाए रखना है। जब सम्पादकीय स्थान बेच कर किसी राजनीतिज्ञ या राजनीतिक पार्टी के पक्ष में खबर छपती है तो भुगतान की हुई खबरों के छपने की प्रक्रिया अधिक हानिकारक होती है। विधानसभा चुनावों के वर्तमान संदर्भ में बात की जाए तो, चुनाव लड़ रहे राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों और उद्योगपतियों पर मानार्थ असंख्य समाचार और फीचर लेख आदि देश भर के समाचार पत्रों में प्रकाशित होते हैं और टीवी चैनलों पर दिखाए जाते हैं। ऐसी खबरों, फीचर या लेखों के प्रकाशन या उन्हें दिखाए जाने से पूर्व ऐसा कोई खुलासा नहीं किया जाता कि उम्मीदवार या उससे संबंधित राजनीतिक दल और मीडिया संस्थान के प्रतिनिधि के बीच उन खबरों के लिए पैसे का कितना लेन-देन हुआ है। इस प्रकार के भ्रष्टाचार से चुनाव लडऩे वाले उम्मीदवार अपने चुनाव प्रचार पर खर्च होने वाले वास्तविक खर्च का खुलासा करने से बच जाते हैं, जो यदि सार्वजनिक हो तो वह निश्चय ही आदर्श आचार संहिता का उल्लंघन होगा। इस पृष्ठभूमि में यह ध्यान देना सुखद होगा कि चुनाव आयोग ने आदर्श आचार संहिता की अक्षरश: पालन के अनुरूप भाषण न देने के लिए कांग्रेस के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष राहुल गांधी को फटकार लगाकर और कांग्रेस के चुनाव चिह्न पर भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी को उनकी टिप्पणी पर नोटिस भेज कर अपनी सख्ती और निष्पक्षता दिखाई है। चुनाव आयोग को पहले भी चुनौतियां मिलीं जिन्हें उसने बेहतरीन ढंग से सुलझाया है। चुनाव आयोग का कार्य किसी भी हस्तक्षेप से मुक्त होना चाहिए और उसके कार्यों में निष्पक्षता और पारदर्शिता दिखाई देनी चाहिए। राजनीतिक दलों को भी जिम्मेदारियां वहन करनी चाहिए और चुनावों के लिए सभ्य तरीके से अनुकूल माहौल तैयार करना चाहिए। आखिरकार, वे निर्वाचित होने के बाद नीतियां बनाती हैं और विपक्ष में होती हैं तो वे नीतियों को बदल देती हैं। रचनात्मक आलोचनाओं का स्वागत किया जाना चाहिए। इसलिए चुनाव के विभिन्न चरणों का निरीक्षण करने के लिए चुनाव आयोग को मजबूत किया जाना चाहिए। यद्यपि चुनाव आयोग का हस्तक्षेप, अब भी विरोधी पार्टियों की शिकायतों के आधार पर होता है, न कि आयोग द्वारा प्रचार के सीधे निरीक्षण के आधार पर। जब तक सभी दल सहयोग नहीं करेंगे, प्रणाली प्रभावशाली नहीं होगी। मैं, इसलिए यह कह कर अपनी बात समाप्त करूंगा कि उदय इंडिया का जोर इस बात पर है कि जनता का राजनैतिक उम्मीदवार में विश्वास होता है और मीडिया से सावधानी और आदर के साथ व्यवहार किया जाना चाहिए, न कि गलत तरीके से। यह भी उतना ही महत्वपूर्ण है कि गलत ढंग से व्यवहार करते हुए दिखाई नहीं दिया जाना चाहिए। राजनीतिक समीचीनता में शामिल मुद्दों को व्यापकता में सुलझाने की जरूरत है, क्योंकि घाव साफ करने की कोशिशों का केवल अस्थाई असर ही होता है। इसलिए, उदय इंडिया देश की जनता को जगाने और उसके सशक्तिरण के लिए पूरी तरह से प्रतिबद्ध है। मैं अपने सम्मानित पाठकों और संरक्षकों से अनुरोध करूंगा कि वे उदय इंडिया के हाथ से हाथ मिला कर देशभक्ति और राष्ट्रवाद को मजबूत करने का संदेश फैलाएं। हमारा महान देश हमारी पहली प्राथमिकता है। इसलिए हमें लोकतन्त्र के दुश्मनों के खिलाफ न रूकने वाली लड़ाई को जारी रखने के लिए अपने सभी लोगों के सहयोग की जरूरत है।