केन्द्र सरकार ने दागी और आपराधिक नेताओं एवं जनप्रतिनिधियों के मामलों का निस्तारण करने के लिए बारह विशेष अदालतें गठित करने एवं इसके लिये अलग से वित्त म...

अदालतों की व्यवस्था सुधारनी ही होगी
हमारे देश की न्याय व्यवस्था पर मुकदमों का बोझ कम होने के स्थान पर लगातार बढ़ता जा रहा है। जब भी अदालतों में बढ़ते मुकदमों या एक-एक मुकदमें के निर्णय म...

समान नागरिक संहिता आवश्यकता और व्यावहारिकता
आज भारतीय राजनीति के सामने सबसे विवादित मुद्दों में से एक समान नागरिक संहिता (यूसीसी) का है। वैसे संविधान में शामिल राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांत का...

तलाकशुदा दम्पत्ति के बच्चों का दुर्भाग्य
वैवाहिक सम्बन्धों में जब पति-पत्नी आपस में छोटी-छोटी बातों पर लड़ाई-झगड़ों के कारण तनावयुक्त जीवन बना लेते हैं और एक लम्बी अवधि इस प्रकार के वातावरण म...

भरण पोषण और वाद खर्च बनाम लैंगिक न्याय
आज विवाह एक कानूनी मसला भी है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जहां करीब एक दशक पहले 1000 में से मुश्किल से एक विवाहित जोड़ा तलाक के लिए को...

न्याय व्यवस्था के पूर्ण सुधार की तैयारी
मेरे सामाजिक जीवन की शुरुआत संघ के सामाजिक कार्यों से हुई। मैंने अपने व्यक्तिगत जीवन में वकालत को एक सामाजिक सेवा रूपी पेशे के रूप में ही समझा। भारत क...

कब तक समान नागरिक कानून की राह रोकी जाएगी?
हाल ही में एक मामले पर सुनवाई के दौरान गुजरात कोर्ट ने समान नागरिक संहिता की जरूरत पर जोर दिया है। कोर्ट ने यह टिप्पणी जफर अब्बास नाम के एक शख्स की अर...

फिर बजा न्याय का डंका
न्यायपालिका ने पिछले दिनों दो महत्वपूर्ण फैसले किए हैं। जिसके लिए वह प्रशंसा की पात्र है। पहले फैसले में दिल्ली के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश कावेरी बवेज...